नई दिल्ली : नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में वित्तीय वर्ष 2024-25 से 2028-29 की अवधि के लिए 2254.43 करोड़ रुपए के केंद्रीय क्षेत्र की योजना ‘नेशनल फोरेंसिक इंफ्रास्ट्रक्चर एन्हांसमेंट स्कीम’ (एनएफआईईएस) को मंजूरी दी गई। मंत्रिमंडल ने गृह मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। संबंधित वित्तीय परिव्यय गृह मंत्रालय द्वारा अपने बजट से प्रदान किया जाएगा।
इस योजना के तहत देश में नेशनल फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू) के परिसरों और केन्द्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं की स्थापना के साथ ही एनएफएसयू के दिल्ली परिसर के मौजूदा बुनियादी ढांचे का भी विस्तार किया जाएगा।
केंद्र सरकार साक्ष्यों की वैज्ञानिक और समय पर फोरेंसिक जांच पर आधारित एक प्रभावी और कुशल आपराधिक न्याय प्रणाली स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह योजना एक कुशल आपराधिक न्याय प्रक्रिया के लिए साक्ष्यों की समय पर और वैज्ञानिक जांच में उच्च गुणवत्ता और आधुनिक प्रौद्योगिकी प्रशिक्षित फोरेंसिक पेशेवरों के महत्व को रेखांकित करती है।
नए आपराधिक कानूनों के अधिनियमन के साथ फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं के क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद है। इसके अलावा देश में फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं (एफएसएल) में प्रशिक्षित फोरेंसिक लोगों की भारी कमी है। नए आपराधिक कानूनों के तहत सात साल या उससे अधिक की सजा वाले अपराधों के लिए फोरेंसिक जांच को अनिवार्य बनाए जाने के कारण इस योजना का काफी महत्व है।
सरकार का मानना है कि इस बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय फोरेंसिक बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण निवेश और वृद्धि जरूरी है। राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू) और नई केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं (सीएफएसएल) के अतिरिक्त ऑफ-कैंपस की स्थापना से प्रशिक्षित फोरेंसिक लोगों की कमी को पूरा किया जाएगा। फोरेंसिक प्रयोगशालाओं के केसलोड को कम किया जाएगा और सरकार के साथ तालमेल बिठाया जाएगा। सरकार का लक्ष्य 90 फीसदी से अधिक की उच्च सजा दर हासिल करना है।