गौरवशाली भारत

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इस बजट में महिलाओं को विशेष सौगात मिलने की उम्मीद

  • केंद्र सरकार ने पिछले 9 वर्षों में नारी सशक्तिकरण को अपने एजेंडे में रखा सबसे आगे
  • महिलाओं को विभिन्न चरणों में सहायता देने वाले कल्याणकारी कार्यक्रमों में होगी अधिक बढ़ोतरी
  • आर्थिक विकास के युग में महिलाओं की अहम भागीदारी
  • केंद्रीय बजट 2024 तीसरी आर्थिक महाशक्ति की ओर
  • पिछले 10 साल में सरकार ने चलाई महिलाओं के लिए कई अहम योजनाएं

कपिल शर्मा । गौरवशाली भारत

देशवासियों को आगामी बजट 2024 का बड़ी बेसब्री से इंतजार है। ऐसे में टार्गेटेड स्कीमस्स के जरिए महिलाओं के इकोनॉमिक इंपॉवरमेंट को बढ़ाने के बारे में चर्चाएं प्रमुख तौर पर हो रही हैं। फाइनेंशियल इंक्लूजन यानी कि वित्तीय समावेशन में सुधार लाने और महिलाओं के बीच उद्यमशीलता की आकांक्षाओं को समर्थन देने के मकसद से सरकार की तरफ से कई पहल की गई है और इसी की वजह से आर्थिक आउटलुक को भी आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए महिलाएं तैयार हैं।

महिलाओं में भारत के सामाजिक आर्थिक स्थिति को नया आकार देने की जबरदस्त क्षमता है। सरकार का अगर पिछले दस सालों का रिपोर्ट कार्ड देखा जाए तो अधिकत्तर योजनाओं के केंद्र बिंदु में महिलाओं होती हैं। इसके पिछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सशक्त नारी के जरिए समृद्ध भारत की राह गढ़ने की सोच है। और इस सोच को सरकार ने अपनी कार्यशैली में पूरी तरह उतारा भी है।

गरीब परिवार की महिलाओं को रसोई में खाना बनाते वक्त धुएं से मुक्ति दिलाने की मकसद से 1 मई 2016 को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत की गई। इसका फायदा ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में रहने वाली बीपीएल परिवार की महिलाओं को मिला। देश में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए और लड़कियों को सशक्त बनाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने 22 जनवरी 2015 को बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत की।

जिसके चलते राष्ट्रीय लिंगानुपात पहली बार सुधरकर 1020 हुआ। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं और बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण में सुधार के लिए प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना की शुरुआत की गई। जिसके तहत गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को पहले बच्चे के लिए 5000 रुपए की वित्तीय सहायता दी जाती है। तो वहीं दूसरे बच्चे के लिए 6000 रुपए की आर्थिक मदद प्रदान की जाती है।

महिलाओं में उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार ने स्टैंड अप इंडिया योजना की शुरुआत की। इस योजना के तहत 1.80 एक लाख अस्सी हज़ार से अधिक महिलाओं और अनुसूचित जाति और जनजातियों के उद्यमियों को 40,600 करोड़ रुपए से अधिक के ऋण स्वीकृत किए गए।

वहीं, मुद्रा लोन योजना के जरिए नवंबर 2023 तक कुल 44.46 करोड़ ऋणों में से 30.64 करोड़ महिलाओं को स्वीकृत किए गए हैं। बालिकाओं के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए मोदी सरकार द्वारा सुकन्या समृद्धि योजना की शुरुआत की गई। इस योजना के अंतर्गत दिसंबर तक 3.2 करोड़ खाते सक्रिय हैं। अपने शहर से बाहर जाकर काम काज करने वाली महिलाओं के लिए सुरक्षित और सुविधाजनक आवास की जरूरतों को पूरा करने के मकसद से कामकाजी महिला छात्रावास योजना की शुरुआत हुई। इस योजना के तहत सरकार कामकाजी महिलाओं को गांव कस्बा शहर और बड़े शहरों में रहने के लिए हॉस्टल की सुविधाएं उपलब्ध कराती है।

हाल ही में वित्त मंत्री ने लखपति दीदी योजना के बारे में बताया कि, महिला लाभार्थियों का लक्ष्य दो करोड़ से बढ़ाकर तीन करोड़ किया जा रहा है। 9 करोड़ महिलाएं 83 लाख स्वयं सहायता समूहों के साथ मिलकर ग्रामीण सामाजिक आर्थिक परिदृश्य को बदल रही हैं।

यह सरकार की दीर्घकालिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विकास का उद्देश्य का ही परिणाम है। जिसके तहत नीतिगत पहलुओं के माध्यम से महिला सशक्तिकरण सुनिश्चित करने के लिए निर्णय एजेंडा निर्धारित किया गया। भारत की विकास यात्रा महिलाओं के सशक्तिकरण से बहुत गहराई से जुड़ी हुई है। इस महत्वपूर्ण संबंध को पहचानते हुए केंद्र सरकार ने पिछले 9 वर्षों में नारी सशक्तिकरण को अपने एजेंडे में सबसे आगे रखा है। आने वाले बजट में उम्मीद की जा रही है कि, महिलाओं को विभिन्न चरणों में सहायता देने वाले कल्याणकारी कार्यक्रमों में और बढ़ोतरी होगी।

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