नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार से गुरुवार को कहा कि इस साल जनवरी में हुई सिविल सेवा (मुख्य) परीक्षा में कोविड-19 के कारण शामिल नहीं हो पाने वाले अभ्यार्थियों को अतिरिक्त प्रयास का मौका देने की अनुमति के मामले में वह दो सप्ताह में विचार करें।
न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने सरकार से कहा कि वह एक संसदीय समिति की कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए की गई सिफारिश के मद्देनजर अतिरिक्त मौका देने पर विचार करे। याचिकाकर्ताओं ने सुनवाई के दौरान अदालत से गुहार लगाते हुए दलील दी थी कि समिति ने महामारी से प्रभावित अभ्यर्थियों को अतिरिक्त मौका देने की सिफारिश की थी।
शीर्ष अदालत के समक्ष पिछली सुनवाई 30 मार्च को केंद्र सरकार ने कहा था कि परीक्षा के लिए अतिरिक्त मौका देना संभव नहीं है।
केंद्र सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने शीर्ष अदालत में अपने लिखित जबाव में कहा था कि इस मामले पर विचार किया गया है। सिविल सेवा परीक्षा की प्रक्रिया के संबंध में प्रयासों की संख्या और आयु-सीमा के मौजूदा प्रावधानों को बदलना संभव नहीं है।
सरकार ने यह भी आशंका जताई थी कि परीक्षा के लिए अतिरिक्त मौका दिए जाने से देशभर में अन्य परीक्षाओं के लिए भी इसी तरह की मांग की जा सकती है।
विभाग ने यह भी कहा था कि इस परीक्षा के लिए छूट देने से मौजूदा परीक्षा के पात्र उम्मीदवारों के चयनित होने की संभावनाएं प्रभावित होंगी।
केंद्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा था कि सिविल सेवा मुख्य (लिखित) परीक्षा-2021 संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा सात जनवरी से 16 जनवरी 2022 के दौरान देशभर में 24 केंद्रों पर कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए आयोजित की गई। सफलतापूर्वक आयोजित इस परीक्षा में कोविड संक्रमित उम्मीदवारों के लिए कोई अलग व्यवस्था करने का आदेश नहीं दिया गया था।
याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत से गुहार लगाई है कि वह संघ लोक सेवा आयोग को आदेश दे कि वह कोविड-19 से प्रभावित अभ्यर्थियों को परीक्षा के लिए एक अतिरिक्त मौका देने का निर्देश दे।
प्रारंभिक परीक्षा पास करने वाले तीन अभ्यार्थियों ने याचिका दायर कर अतिरिक्त मौका देने की गुहार लगाई थी।