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चार्टर्ड एकाउंटेंट्स विनियमन विधेयक लोकसभा में पारित

loksabha

नई दिल्ली: लोकसभा ने चार्टर्ड एकाउंटेंट्स संस्थान, भारतीय कॉस्ट एकाउंटेंट्स संस्थान तथा भारतीय कंपनी सचिव संस्थान में सुधार लाने के प्रावधानों वाले विधेयक को बुधवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चार्टर्ड एकाउंटेंट्स, कॉस्ट और वर्क्स एकाउंटेंट्स तथा कंपनी सचिव (संशोधन) विधेयक 2021 पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इन संशोधनों के माध्यम से तीनों संस्थाओं चार्टर्ड एकाउंटेंट्स, कॉस्ट और वर्क्स एकाउंटेंट्स तथा कंपनी सचिव के पेशों के विनियमन में और सुधार का लक्ष्य है। इससे इन पेशों के लिए स्थापित अनुशासनात्मक तंत्र को मजबूती मिलेगी और इन पेशों के सदस्यों के खिलाफ मामलों का समयबद्ध निपटान हो सकेगा।

उन्होंने कहा कि इस विधेयक में बदलाव ऐसे ही नहीं किये गये हैं बल्कि उन्हें विभिन्न समितियों के सुझाव के आधार पर किया गया है।

उनका कहना था कि विपक्ष की यह आशंका गलत है कि विधेयक के माध्यम से लेखाकारों एवं कंपनी सचिवों पर शिकंजा कसा जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस विधेयक का मकसद किसी तरह से इन तीनों पेशों से जुड़ी किसी भी व्यवस्था को बदलना नहीं बल्कि उसे मजबूती प्रदान करना है।

वित्त मंत्री ने कहा कि इन तीनों कानूनों के एक मंच पर आने से आर्थिक वृद्धि को गति मिलेगी और इनके बीच परस्पर समन्वय संबंधी परिषद या अन्य समितियों में विश्व स्तर के विशेषज्ञ सदस्य होंगे। उन्होंने कहा कि अक्सर पूछा जाता है कि जब इस समिति का अध्यक्ष कारपोरेट विभाग का सचिव होगा तो चार्टर्ड एकाउंटेंट नहीं होने की स्थिति में वह बात कैसे समझेगा तो इसका जवाब यही है कि समिति में विशेषज्ञ होंगे और समिति स्वायत्तरूप से काम करेगी।

श्रीमती सीतारमण ने कहा कि इस विधेयक में दो सदस्य स्वतंत्र होंगे जिनका चयन परिषद करेगी जबकि दो सदस्यों का चुनाव सरकार की तरफ से किया जाएगा। कास्ट एकाउंटेंट तथा कंपनी सचिव की स्थिति में भी इसी तरह से सुधार किए जाएंगे। इसमें तीनों संस्थानों के लिए एक समन्यय समिति होगी जिसमें एक अध्यक्ष तथा एक उपाध्यक्ष होगा। समन्वय समित का मकसद तीनों संस्थाओं के बीच समन्वय स्थापित करना है।

उन्होंने कहा संसद की समिति ने 2005 में इन संस्थाओं को लेकर जो सुझाव दिये थे उनको अब इन विधेयकों के माध्यम से लागू करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि परिषद को अपना आडिटर नियुक्त करने का अधिकार है लेकिन सीएजी संवैधानिक संस्था है इसलिए आडिटर की नियुक्ति को लेकर अंतिम निर्णय उसी के नियमों के हिसाब से होगा।

वित्त मंत्री के जवाब के बाद सदन ने इस विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया है। इस पर अभी राज्य सभा में चर्चा होनी बाकी है।

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