नई दिल्ली : रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड (आरएफएल) के लिये एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में उसको कर्ज देने वाले बैंकों में एक बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने उसके ऋण खाते पर से ‘धोखाधड़ी’का टैग हटा दिया है। एसबीआई ने आरएफएल को इसकी जानकारी दे दी है। कंपनी की ओर से दी गयी जानकारी के अनुसार बैंक का यह निर्णय उच्च न्यायालय के गत 18 दिसंबर के एक आदेश के अनुसार है जिसमें उसे इस आरएफएल के खाते को धोखाधड़ी के मामलों की केंद्रीय पंजिका से हटाने के लिए एसबीआई को कहा गया था। एसबीआई ने आरएफएल को शुक्रवार को औपचारिक रूप से इस कार्रवाई की जानकारी दी।
गौरतलब है कि रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड (आरईएल) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी आरएफएल ने सामान्य तरीकों से धन संचित कर गत मार्च में 16 बैंकों/ऋणदाताओं के कर्ज का एकमुश्त निपटान (ओटीएस) पूरा किया और इसमें बैंकिंग प्रणाली को 9000 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया।
आरएफएल के मुख्य अधिशासी अधिकारी पंकज शर्मा ने कहा है कि कंपनी को अब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा उसके कारोबार पर लागू चार साल से लागू नियंत्रणों को हटाए जाने का इंतजार है। केंद्रीय बैंक ने आरएफएल के खातों की उस समय की रिपोर्ट के मद्देनजर पर इस गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी को जनवरी 2018 में सुधारात्मक कार्य योजना (सीएपी) के तहत कई प्रकार की पाबंदियों लगा रखी हैं।
रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लि. की कार्यकारी अध्यक्ष और आरएफएल की अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक डॉ. रश्मि सलूजा ने कहा, ‘धोखाधड़ी’ टैग को हटाना कंपनी के बोर्ड, प्रबंधन और कर्मचारियों की प्रतिबद्धता और समर्पण का एक प्रमाण है, जिन्होंने आरएफएल और रेलीगेयर समूह को इसके पिछले प्रवर्तकों और उनके सहयोगियों के धोखाधड़ी के कृत्य से उबारा है। यह आरएफएल के कारोबार के पुनरुद्धार तथा वृद्धि की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।