बेंगलुरु : कर्नाटक में सूखा राहत देने में देरी को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच चल रहा विवाद मंगलवार को यहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कार्यकर्ताओं की बैठक के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी से और बढ़ गया है।
श्री शाह ने दावा किया कि कर्नाटक सरकार ने तीन महीने देरी प्रस्ताव प्रस्तुत के कारण राहत वितरण में देरी हुयी है। उन्होंने कांग्रेस सरकार पर इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया।
उन्होंने यहां पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा,“कर्नाटक सूखे से ग्रस्त है। केंद्र को प्रस्ताव तीन महीने की देरी से सौंपा गया था। आज, सूखा राहत जारी करने की केंद्र की याचिका चुनाव आयोग के पास अटक गई है।”
फिलहाल, राजस्व मंत्री कृष्णा बायरे गौड़ा ने पुष्टि की कि कर्नाटक सूखा घोषित करने और मुआवजे की मांग करने वाला पहला राज्य है। राज्य के मुख्यमंत्री सिद्दारामैया ने पहले इस मामले पर श्री शाह की आलोचना की है और सूखे की स्थिति के दौरान सहायता प्रदान नहीं करने पर कर्नाटक में वोट मांगने के उनके नैतिक अधिकार पर सवाल उठाया है।
इसके अलावा, श्री शाह ने कर्नाटक सरकार पर लोगों के कल्याण को प्राथमिकता नहीं देने का आरोप लगाया और आरोप लगाया कि जहां श्री सिद्दारामैया अपनी सीट बरकरार रखने पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे, वहीं उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार उन्हें कमजोर करने का प्रयास कर रहे थे। गौरतलब है कि कर्नाटक की 28 लोकसभा सीटों के लिए 26 अप्रैल और सात मई को दो चरणों में चुनाव होने तक सूखा राहत जैसे मुद्दों पर ये राजनीतिक चर्चा जारी रहने की संभावना है।