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टाटा मोटर्स की हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस

नई दिल्‍ली : वाणिज्यिक वाहन बनाने वाली भारत की सबसे बड़ी कंपनी टाटा मोटर्स ने आज देश की सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) को अपने तरह की पहली हाइड्रोजन फ्यूल सेल पावर्ड (एफसीईवी) बसों की आपूर्ति की। कंपनी ने यहां जारी बयान में कहा कि इस प्रकार टाटा मोटर्स ने भारत को यातायात के ज्‍यादा स्‍मार्ट और पर्यावरण के अनुकूल समाधानों से आगे बढ़ाने के लिये अपनी प्रतिबद्धता की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है।

पूरी तरह से डीकार्बनाइज्‍़ड परिवहन के नये युग की घोषणा कर रहीं दो बसों को पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्‍यमंत्री रामेश्‍वर तेली, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सचिव पंकज जैन, आईओसीएल के अध्यक्ष एस एम वैद्य, आईओसीएल के कार्यकारी निदेशक डॉ. उमिश श्रीवास्‍तव और टाटा मोटर्स के अध्यक्ष एवं मुख्य टेक्‍नोलॉजी अधिकारी राजेन्‍द्र पेटकर ने हरी झंडी दिखाई।
इस अवसर पर टाटा मोटर्स के कार्यकारी निदेशक गिरीश वाघ ने कहा, “यह सरकार की प्रगतिशील नीतियों, भविष्‍य के लिये तैयार रहने पर आईओसीएल के केन्द्रित होने और शोध एवं विकास में टाटा मोटर्स के कौशल का नतीजा है। इन सभी बातों ने भारत में शुद्ध (प्रदूषण-रहित) यातायात के साझा विचार में योगदान दिया है। आईओसीएल को एफसीईवी बसों की आपूर्ति इस यात्रा में एक महत्‍वपूर्ण कदम है और हम अपने भागीदारों के भरोसे एवं सहयोग के लिये आभारी हैं।

टाटा मोटर्स में हम हमेशा राष्‍ट्र-निर्माण को प्राथमिकता देते हैं और देश में स्‍थायित्‍वपूर्ण, संपर्करत तथा अधिक सुरक्षित यातायात के व्‍यापक वैश्विक चलन का नेतृत्‍व कर रहे हैं। आज इन बसों की आपूर्ति अंतर्शहरी सार्वजनिक परिवहन में एक नये युग की घोषणा करती है और स्‍थायित्‍वपूर्ण यातायात की आकांक्षा पूरी करने की दिशा में एक अन्‍य कदम है। नये जमाने की टेक्‍नोलॉजीज को विकसित कर उन्‍हें अपनाने के लिये सक्रिय कार्यवाहियों के साथ हम कार्गो तथा लोगों के लिये भविष्‍य के लिये तैयार परिवहन समाधान बना रहे हैं, ताकि भारत में यातायात की भविष्‍य की आवश्‍यकताओं को आज ही पूरा किया जा सके।”
जून 2021 में, टाटा मोटर्स को 15 एफसीईवी बसों के लिये आईओसीएल की निविदा मिली थी, जो भारत में हाइड्रोजन पर आधारित पीईएम फ्यूल-सेल टेक्‍नोलॉजी की क्षमता का मूल्‍यांकन करने के लिये थी। इन बसों का मूल्‍यांकन अंतर्शहरी तथा अंत:शहरी यात्रा के लिये सार्वजनिक परिवहन के संभावित समाधानों के तौर पर होना है।

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