अजमेर : राजस्थान के अजमेर में बहुचर्चित 1992 ब्लैकमेल कांड मामले में करीब 32 साल बाद शेष छह आरोपियों को मंगलवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
विशेष पोक्सो कोर्ट संख्या दो ने इस मामले में आरोपी नफीस चिश्ती, नसीम उर्फ टार्जन, सलीम चिश्ती, इकबाल भाटी, सोहिल गनी एवं सैय्यद जमीर हुसैन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने आरोपियों पर पांच-पांच लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। अदालत ने मंगलवार को ही इन आरोपियों को दोषी करार दिया और दोपहर बाद सजा सुनाई गई।
मामले में पहले गत आठ अगस्त को यह फैसला आना था लेकिन आरोपी इकबाल भाटी की अस्वस्थता के चलते इस मामले में 20 अगस्त की तारीख तय की गई और मंगलवार को इकबाल भाटी को दिल्ली से एम्बुलेंस के जरिये अजमेर लाकर अदालत में पेश किया गया।
पोक्सो न्यायालय के सरकारी वकील वीरेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि मामलें में चार्जशीट 2001 को पेश कर दी गई थी। उन्होंने बताया कि मामलें में 18 आरोपी थे। इनमें नौ को पहले सजा सुनाई जा चुकी है और कुछ आरोपी दोषमुक्त भी हो चुके हैं तथा एक आरोपी आत्महत्या कर चुका है जबकि एक आरोपी अलमाज महाराज फरार चल रहा है और न्यायालय ने उसे भगौड़ा घोषित कर उसके खिलाफ रेडकार्नर नोटिस जारी किया हुआ है।
इस मामले के फैसले के मद्देनजर न्यायालय परिसर में भारी पुलिस बल तैनात किया गया। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1992 में यह मामला सामने आया जिसमें सौ से ज्यादा लड़कियों को छायाचित्र के जरिए ब्लैकमेल कर उनका यौन शोषण किया गया।