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गांधी जयंती पर मातृभूमि योजना लांच करेगी योगी सरकार

लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार महात्मा गांधी की जयंती 2 अक्टूबर को ‘मातृभूमि योजना’ पोर्टल लांच करेगी। इससे जनता को जोड़ा जाएगा। इसके तहत यदि कोई व्यक्ति गांव में सामुदायिक भवन, चिकित्सालय, स्कूल, कॉमन सर्विस सेंटर आदि का निर्माण अपने पूर्वज के नाम पर कराना चाहते हैं तो उन्हें 60 फीसदी पैसा देना होगा। शेष 40 फीसदी पैसे राज्य सरकार लगाएगी। उक्त भवन या योजना, ‘मातृभूमि योजना’ के लाभार्थी के पूर्वज के नाम पर होगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को मथुरा में वर्चुअल माध्यम से विभिन्न योजनाओं का लोकार्पण करते हुए यह जानकारी दी। उन्होंने मथुरा में पं. दीनदयाल उपाध्याय स्मृति महोत्सव समिति की ओऱ से आयोजित किसान मेले व ग्राम्य विकास प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया।
गौरतलब है कि खराब मौसम के कारण मुख्यमंत्री योगी मथुरा नहीं जा पाये। इसलिये उन्हें लखनऊ से ही इस कार्यक्रम में सम्मिलित होना पड़ा। उन्होंने कहा कि 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, 25 सितंबर को पं. दीनदयाल उपाध्याय व 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी का जन्मदिवस है। इसे सेवा पखवाड़ा के तहत मनाया जा रहा है। सरकार कई कार्यक्रम चला रही है। इसे ध्यान में रखते हुए उक्त कार्यक्रम बनाया गया है।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि सरकार गांवों में हाईस्पीड इंटरनेट व फ्री वाईफाई सेवा बढ़ाने जा रही है। उन्होंने कहा, “हाईस्पीड इंटरनेट की सेवा अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करती है। हम हर ग्राम पंचायत को बेहतर कनेक्टिविटी से जोड़ने जा रहे हैं। इससे ग्रामीणों को बैंकों, थाने, तहसील से जुड़ी 243 तरह की सेवाएं गांवों के पंचायत सचिवालय में ही मिलेंगी।”
सीएम ने कहा कि अंत्योदय के प्रणेता पं दीनदयाल उपाध्याय के धाम में 50 वर्ष से यह कार्यक्रम चल रहा है। ग्राम्य विकास, खेती-किसानी व अन्नदाता किसानों की खुशहाली को लेकर जो भी कार्य इस धाम में हुआ है, वह देश के लिए प्रेरणा बना है। भारत की अर्थव्यवस्था ग्राम्य आधारित है। यही कारण है कि जब देश आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, तब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भारत की स्वाधीनता के लिए स्वदेशी व ग्राम स्वराज के माध्यम से स्वालंबन का मंत्र दिया था। ग्राम स्वराज की परिकल्पना ग्राम्य विकास के माध्यम से ही हो सकती है। भारत की कृषि अर्थव्यवस्था को बढ़ाना और पीएम के सपने व संकल्पों के अनुरूप भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है तो ग्राम्य विकास के साथ खेती-किसानी पर भी उसी मजबूती के साथ काम करना होगा।
योगी ने कहा कि बीते साढ़े आठ वर्ष के अंदर देश में खेती की लागत कम कर उत्पादन क्षमता को बढ़ाने पर बल दिया गया। तकनीक का उपयोग कर व किसानों के जीवन में खुशहाली लाने के लिए देश में अनेक कार्यक्रम प्रारंभ हुए हैं। पीएम बीमा योजना, पीएम कृषि सिंचाई योजना, एनएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) का लाभ किसानों को मिलता दिखा। किसान को पहली बार खेतीबाड़ी के लिए साहूकार से ऋण लेने की आवश्यकता नहीं है। पीएम किसान सम्मान निधि से किसान को 6 हजार रुपये सालाना देने की व्यवस्था की गई।
योगी ने कहा कि उप्र में 2.60 करोड़ किसानों को इसका लाभ मिल रहा। पीएम कृषि सिंचाई के तहत यूपी में 21 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि में अतिरिक्त सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराई है। जहां नहर नहीं है, वहां किसानों को ट्यूबवेल से पानी चलाना पड़ता है। बिजली की लागत भले बढ़ी होगी, लेकिन किसानों के लिए ट्यूबवेल व खेती के लिए बिजली की लागत कम हुई। अगले 5 वर्ष में अधिकतर ट्यूबवेल तक सिंचाई की सुविधा देंगे या पीएम कुसुम योजना के तहत सोलर पैनल देकर फ्री सिंचाई की सुविधा में सफल होंगे।
उन्होंने कहा कि लागत कम करना, उत्पादन बढ़ाना यह व्यवस्था देश में लागू हुई। डीबीटी के जरिए यूपी के किसानों के खातों में 1 लाख 80 हजार करोड़ रुपये भेजे गए हैं। गन्ना मूल्य भुगतान, चीनी मिलों के आधुनिकीकरण व पुनुरुद्धार की बात हो, धान-गेहूं के क्रय केंद्र स्थापित करते हुए मकई, तिलहन, दलहन व मोटे अनाज खरीद को बढ़ाने की प्रक्रिया हो, सब्जी व फलों के लिए फूड प्रसंस्करण की बात हो। ब्रज भूमि में कोसीकला के पास पेप्सिको के साथ मिलकर फूड प्रॉसेसिंग सेंटर स्थापित किया है। यहां लाखों कुंतल आलू की खपत होती है, इससे किसानों को अच्छा दाम मिलता है।

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